गुरुवार, 9 जून 2011

कांग्रेस और संघ :- राम भरोसे हिन्दुस्तान.....

कांग्रेस, बाबा रामदेव में आर एस एस का षड्यंत्र देखती है... बाबा रामदेव को संघ का एजेंट बताती है.... इसका क्या कहेंगे...? दिग्विजय सिंह जैसे नेता इसे संघीय आतंक-वाद का नाम देते हैं.... आतंक-वाद?  आखिर आतंक-वाद की परिभाषा क्या है...  कांग्रेस के इस कदम को खिसियानी बिल्ली का नाम नहीं देंगे...... 

आखिर कांग्रेस के इस निरंकुश कदम के पीछे का मक्सद क्या है, यह कोई नासमझी में उठाया गया कदम नहीं है, दिग्गी राजा कोई नासमझ नहीं है जो बेसमझे इस प्रकार की टिप्पणी करेंगे..... यह एक सोची समझी साजिश है.....  कांगेसी थिंक टैंक नें पूरी तरह से सोचनें और समझनें के बाद इस प्रकार का निर्णय लिया है..... बिखरा विपक्ष... पूरे तीन साल की बची हुई सत्ता और हिन्दुत्व विरोधी एजेन्डा.... यह सब इन्ही का नतीज़ा हैं.....  

कांग्रेस का संघ विरोध कोई नया नहीं.... दर-असल कांग्रेस का राजनीति का मूल ही विरोध की राजनीति को हवा देकर राजनीति खेलनें की रही है, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अंग्रेजों की "बांटो और राज करो" की विरासत का पूरी तन्मयता से पालन करनें वाली कांग्रेस शुरुआत से ही इसी एजेण्डे पर रही.... कांग्रेसी हमेशा से माईनोरिटी पोलीटिक्स को हवा देकर वोट बैंक की राजनीति खेलनें में महारत हासिल करती रही है..... संघ से कांग्रेस को हमेशा से बैर रहा है, क्योंकि हिन्दु-बहुसंख्यक भारत में भारतीयता की बात करनें वाला संघ कांग्रेस को अपना विरोधी ही नज़र आता है, और वह हमेशा से अपनें इसी एजेण्डे पर कायम है..... यह उसका वैचारिक दिवालियापन ही है। मगर कांग्रेस हिन्दुस्तान की वोट राजनीति को बखूबी जानती है, और इसी कारण से वह भारत पर ५५ सालों से भी अधिक समय तक शासन करनें में सफ़ल रही है, और अगर हिन्दुस्तानी जनता नहीं चेती तो फ़िर यह आगे भी कायम रहेगा...... इसके अलावा कांग्रेस कभी किसी समस्या के समाधान की तरफ़ नहीं रही, हमेशा समस्या के राजनीतिक नफ़े नुकसान के आधार पर आगे की कार्यवाही करनें की सोच को ही आत्मसात करती रही। 

मेरे विचार से कोई भी जन क्रांति/ जन आन्दोलन अपने आप में सत्ता चलाने या चला सकने की योग्यता लेकर नहीं आती... बल्कि इस प्रकार की क्रांति एक भ्रष्ट और निरंकुश, तानाशाही सरकार के खिलाफ लोगों के सहन सीमा के टूट जानें के बाद की प्रतिक्रिया होती है...   यह भी ऐसा ही है..... बाबा रामदेव का यह प्रयास कोई केंद्र की सत्ता डिगानें के लिए नहीं है, यह तो देश का काला पैसा वापस लानें और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ देश की जनता को एक जुट करनें का प्रयास है............      गांधी की विरासत का हवाला देनें वाली कांग्रेस शायद ही चेतेगी..... क्योंकि उसे मालूम है हिन्दुस्तान पर शासन करनें का मूल क्या है.... चेतना होगा तो फ़िर इस देश की जनता को ही चेतना होगा............