बुधवार, 15 मई 2013

बदलता और सुलगता भारत:- भाग-२... राम भरोसे हिन्दुस्तान

पिछली पोस्ट में हमनें देश की समस्याओं और आज के पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रियाओं से अवगत कराया था। आज हम कुछ समाधान की ओर चलते हैं। 



देश की वोटिंग प्रणाली

. देश की वोटिंग प्रणाली पर गौर कीजिए। देश का सबसे बड़ा युवा वर्ग  जो अपने मूल स्थान से दूर किसी महानगर में नौकरी करता है। इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली एक बड़ी आबादी का वोटिंग लिस्ट में नाम वहां नहीं होता जहाँ वह रहता है. मेरे साथ काम करने वाले लोग मुंबई की वोटिंग लिस्ट में नाम नहीं लिखवाते क्योंकी दौड़ भाग कौन करे। यह वर्ग सोमवार से शुक्रवार काम करने के बाद वीकेंड पर आराम करना पसंद करता है… यह हमारा युवा वर्ग है और आज कल की देश की हालत से फेसबुक पर सबसे ज्यादा यही चिल्लाता है। कांग्रेस का फायदा यही है की उसको सोशल मीडिया पर हो रहे जनता के विरोध करने वाले अधिकतर लोग असल में वोटर हैं ही नहीं। 

समाधान:

ई -वोटिंग: इस वर्ग को जोड़ने का सबसे आसान रास्ता है इलेक्ट्रानिक तरीके से वोटिंग करना। देश के वोटिंग लिस्ट को एक सेन्ट्रल सर्वर से जोड़ा जाये और हर शहर में चुनाव आयोग पूरे देश में कहीं भी और किसी भी संसदीय क्षेत्र की वोटिंग करवा सके।  वोटर केवल अपना आई-डी प्रूफ दिखाए और अपना कोई एक और पहचान चिन्ह देकर वोट डाल सकें। यदि कोई वोटर अपने मूल स्थान से अपना नाम कहीं और लिखाना चाहे तो यह प्रक्रिया सरल हो।

वोटिंग करना अनिवार्य हो:
हर नागरिक के लिए वोटिंग अनिवार्य हो, वोटिंग करने से यदि कोई कतराता हो तो फ़िर उसके खिलाफ़ कार्यवाही की जाए, नागरिको के लिए यह सरकारी छूट में कटौती, सब्सिडी न देना या फ़िर कोई भी सरकारी सुविधा का बन्द कर दिया जाना। बैंक ब्याज़ देना बन्द करें ऐसे लोगों को... वगैरह वगैरह...  मतलब जनता पर कार्यवाही का डर होगा तो ही डंडे के जोर पर काम करनें वाला हमारा भेड-तंत्र वोट डालनें अनिवार्य रूप से आएगा।

वोट में "कोई नहीं" का विकल्प 
यदि किसी संसदीय क्षेत्र में कोई भी उम्मीदवार जनता के मापदंड पर खरा न उतरता हो तो फ़िर वह कोई नहीं का उत्तर चुन सकता है। 

नतीजे सेन्ट्रल आफ़िस से निकले
चुनाव आयोग हर चुनाव का नतीजा सेन्टल लोकेशन से करे। सीबीएसई के परीक्षा परिणाम की तरह चुनाव आयोग नतीजे घोषित करे। 

  • उम्मीदवारों की सम्पत्ति का ब्यौरा अखबारों में निकले  
  • किसी भी प्रकार का अपराधिक मामला न्यायालय में लम्बित होनें पर भी उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया से बाहर रहे
  • कोई मामला साबित होनें की दशा में उस उम्मीदवार पर आजीवन प्रतिबंध लग जाए
  • किसी भी क्षेत्र से उम्मीदवारी करनें से पहले उस व्यक्ति का उस क्षेत्र से होना ज़रूरी है 
  • लोकसभा के नेता को लोकसभा से चुनकर आना होगा
  • कोई राजनीतिक दल यदि प्रांतवाद या फ़िर अलगाववाद को बढावा दे तो प्रतिबंधित हो 
  • गुंडई और दबंगई बन्द की जाए 
चुनाव आयोग को एक स्वायत्त संस्था बना दिया जाए और उसे सरकार के नियंत्रण से दूर रखा जाए। इसकी स्वायत्तता से किसी भी कीमत पर समझौता न हो। 

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अलगाववादियों का बहिष्कार

हिन्दुस्तान का भाषाई आधार पर बंटवारा एक बहुत बडी भूल थी, हिन्दुस्तान को एडमिन की सहुलियत के हिसाब से बांटना अधिक श्रेयस्कर होता। एक देश और एक ही प्रकार की शासन प्रणाली होनी चाहिए।

आज किसी भी प्रकार के अलगाववाद को बन्द करना होगा। हिन्दुस्तान के सभी नागरिकों का भारतीयकरण होना ज़रूरी है। 

जो राष्ट्रवादी सोच के खिलाफ़ जाता हो, भाषाई आधार पर भारत के नागरिकों में भेद करता हो। और संप्रदाय को संप्रदाय से टकरानें की सोच का समर्थन करता है उस पर प्रतिबंध लगाना और उसे दडित करना पहला काम होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर: १९८४ के दंगो के बाद कांग्रेस पर कम से कम दस वर्ष का प्रतिबंध लगना चाहिए था। अगर एक भी ऐसी मिसाल होती तो भारत में कभी भी राजनीति से प्रेरित दंगे न होते।   

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एक शिक्षा प्रणाली
पूरे देश में एक ही शिक्षा का पाठ्यक्रम हो, भाषा कोई भी हो लेकिन पाठ्यक्रम एक ही होना चाहिए। उदाहरण के लिए दसवीं का बच्चा वही चीज़े उत्तर प्रदेश में, केरल में, गुजरात में या फ़िर किसी भी राज्य में पढे। एक ही पाठ्यक्रम रखनें से एकीकरण होगा। मैकाले की प्रणाली की जगह अपनी स्वयं की प्रणाली बनाईए

  • नैतिक शिक्षा
  • संस्कार
  • व्यवहारिक ज्ञान 
  • हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक विरासत
  • एप्लाईड साईस
  • किताबों को घोलकर पिलानें की जगह इंटरएक्टिव तरीके से शिक्षित करना
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समान टैक्स प्रणाली
हमारे यहां हर राज्य में अलग टैक्स प्रणाली है, उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में हिन्दुस्तान मे सबसे अधिक आक्ट्राई है और यहां हर चीज़ पर सबसे अधिक टैक्स देना पडता है। अभी एलबीटी नाम की एक नई नौटंकी आनें को है। 

आप एक कार खरीदते हैं, दिल्ली मे यदि वह पांच लाख में मिलेगी तो वही कार आपको मुम्बई में पांच लाख पचपन हज़ार में मिलेगी आखिर एक देश में इतना अन्तर क्यों ? 

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मित्रों देश के नागरिकों का देश की आज की स्थिति को समझना बहुत बडी चुनौती है। हमें युवा वर्ग को जगाना होगा और उसे बदलाव के लिए प्रेरित करना होगा। हमारी कमज़ोर याददाश्त घोटालेबाजो की संजीवनी है। याद रखिए और याद कराते रहिए। कमज़ोर भारत और कमज़ोर सरकार की जगह एक साहसी भारत और साहसी सरकार की ज़रूरत है। जो सही माईनो में हमारा प्रतिबंध कर सके। 

सोच कर देखिए... कम से कम एक सपनें जैसा ही सही, क्या पता यह सपना एक दिन सच हो जाए।  

रविवार, 5 मई 2013

बदलता और सुलगता भारत:- भाग-१... राम भरोसे हिन्दुस्तान

यह हो क्या रहा है भाई





मित्रों पिछले कुछ दिनों से हम और आप हिंदुस्तान की हालत से काफी चिंचित हैं। चीन भारत में घुसने को तैयार है और हमारे हिंदुस्तान के विदेश मंत्री चीनी दावत में जाने को तैयार हैं, सरबजीत को मार दिया जाता है और हमारे मंत्री डायलाग के रास्ते को बंद नहीं करेंगे और उनकी मेहमाननवाज़ी करते रहेंगे। कई सवाल हैं और उनके कोई जवाब नहीं हैं। मित्रों आखिर हमारी ऐसी हालत क्यूँ है और इस हालत के लिए ज़िम्मेदार कौन हैं। 

पिछले दिनो कुछ कांग्रेसियों से मिला, वह अपनी ही सफ़लता की गारंटी की बात करते हैं। समझते हैं की यदि मोदी के नाम की घोषणा होती है तो फ़िर यूपीए-३ पक्का है। हमनें उन्हे याद दिलाया कोयला, २जी, आदर्ष, मौन प्रधानमंत्री, देश के नेताओं का बडबोलापन, सुप्रीम कोर्ट की हर मामलें में सरकार को लगनें वाली लात वगैरह वगैरह.... चुप्पी के बाद वह केवल इतना ही बोले की देखिएगा २०१४ में हमी आएंगे।  

उसी दिन भाजपा और शिवसेना के भी कुछ लोकल नेताओं से बात हुई। यह इस मुगालते में जी रहे हैं की देश की त्रस्त जनता अगले चुनाव में हर हालत में कांग्रेस को निकाल बाहर करेगी। देश के पक्ष और विपक्ष को इस हालत में देखकर भाई मेरा तो सर चकरा गया। आखिर यह क्या हो रहा है भारत में। कांग्रेस ऐसा सोच सकती है क्योंकी हिन्दुस्तान का एक बहुत बडा वर्ग विमुख है सरकार से और उसका वोटिंग प्रणाली में कोई दखल है ही नहीं। फ़ेसबुक पर चिल्लानें वाला युवा वर्ग आखिर किस काम का? यह थोडे ही धूप में लाईन में लग कर वोट करेगा? यह तो वोटिंग के दिन को छुट्टी का दिन समझ कर किसी ट्रिप पर निकल लेता है। 

कुछ बातें: ( ताकि सनद रहे अगले चुनाव तक)

पक्ष से
  • हमारे प्रधानमंत्री हमारे देश का नेतॄत्व नहीं करते
  • वह जनता से कभी कोई संवाद नहीं करते, उनके बयान कोई और लिखता है और कोई और उसे साईन आफ़ करता है और वह उसे पढते हैं और बाद में "ठीक हैं" कहकर अपनी गम्भीरता दिखा देते हैं
  • आजतक कभी किसी डिबेट में नहीं आए
  • कभी किसी बात की ज़िम्मेदारी नहीं लेते
  • कांग्रेस सीबीआई का दुरुपयोग बन्द नहीं करती
  • घोटाले बन्द नहीं होते क्योंकी सरकार अपनी ज़ेब भरनें के लिए कॄतसंकल्प दिखती है
  • यूनाईटेड नेशन भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित घोषित करता है लेकिन यह कुछ नहीं करते
  • महिलाओं की सुरक्षा, खाद्यसुरक्षा गारंटी जैसे विधेयक लटका कर रखती है
  • किसी भी समस्या के समाधान की ओर नहीं देखती केवल और केवल राजनीति खेलती है
  • अलगाववादियों को संरक्षण देती है
  • क्षद्म धर्मनिरपेक्षता है, यह अलगाववादियों को बढावा देते हैं। मुंह में राम बगल में छूरी वाली बात को सार्थक करते हैं
  • प्रव्क्ताओं पर कोई लगाम नहीं है 
  • आर्थिक मंदी से निकलने का कोई दूरगामी सुधार प्रक्रिया नहीं है


विपक्ष से:
  • विपक्ष की दशा और दिशा के बारे में देश कन्फ़्यूज़ है
  • सार्थक और सकारात्मक विपक्ष जैस कुछ दीख नहीं रहा
  • नेतॄत्व का संकट है
  • कुनबे में दरारे साफ़ दिख रहीं हैं
  • नीयत पर भरोसा नहीं हो रहा
  • जनता से जुडनें का कोई प्रयास नहीं हो रहा
  • फ़ेसबुक मीडिया पर हो रहे सरकार विरोधी स्वर से खुश हैं लेकिन हकीकत से कोसों दूर
क्षेत्रिय दलों का राष्ट्रीय राजनिति पर हावी होना एक बहुत बडी समस्या है, यह दल केवल और केवल अपनी छोटी सोच के कारण देशव्यापी हित के कार्य़क्रमों को नदर-अंदाज़ कर देते हैं। 


मित्रों आखिर हिन्दुस्तान की समस्याएं बहुत हैं लेकिन इस सुलगते और बदलते भारत में कुछ सकारात्मक बदलाव ज़रूरी हैं। आईए जागरूकता फ़ैलानें के लिए ही सही 

कल की पोस्ट में हम आज के भारत की समस्याओं के समाधान के रास्ते तलाशेंगे। 

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