क्या आप जानते हैं आपके देश में पेट्रोल की असली कीमत क्या है? आईए थोडा जानें असलियत और सरकारी आंकडों के इस खेल को....
सूत्र: ब्लूमबर्ग
एक बैरल की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमत है १०० डालर, ५६ रुपये प्रति डालर के हिसाब से हो गये ५६०० रुपये प्रति बैरल ।
एक बैरल में लगभग १५० लीटर तेल हुआ
रिफ़ाईनरी की कीमत १०-१२ डालर प्रति बैरल होगी... मतलब १२*५६ = ६७२ रुपये
कुल कीमत = ५६००+६७२ = ६२७२ रुपये
प्रति लीटर कीमत = ६२७२/१५०= ४२ रुपये...
मतलब एक लीटर पेट्रोल की असली कीमत हुई लगभग ४२ रुपये..... मुम्बई में पेट्रोल की आज की कीमत है लगभग अस्सी रुपये, मतलब एक लीटर पर ३८ रुपये का मुनाफ़ा....
अब ज़रा इस मुनाफ़े को थोडा और जानें.... इसमें कितना पैसा किस किस के पास गया.....
हर राज्य पेट्रोल की कीमत पर ३० फ़ीसदी वैट वसूलते हैं.... केन्द्र शासित राज्यों में यह थोडा कम है इसलिए दिल्ली और मुम्बई की कींमतों में कोई छ: सात रुपये का अन्तर है....
केन्द्र सरकार इसपर एक्साईज़ ड्यूटी (सोलह प्रतिशत), स्पेसल ड्यूटी, सेस वसूलती है.... तेल कम्पनियों का मुनाफ़ा, डीलर कमीशन सब जोड कर यह करीब पचास फ़ीसदी तक जाता है।
एक लीटर तेल पर होनें वाले ३८ रुपये के मुनाफ़े पर लगभग, १५ रुपये केन्द्र, और १६ रुपये राज्य और ७ रुपये तेल कम्पनी को मिलते हैं.... अब आप खुद ही अंदाज़ा लगाईए सरकार की मंशा तेल कम्पनियों को बचानें की है या अपनी ज़ेब भरनें की ?
दर-असल सरकार की नीयत का साफ़ न होना हमारे देश की सबसे बडी विडम्बना है, तेल कम्पनियों का मुनाफ़ा या नुकसान एक नौटंकी है... रुपये की औकात गिरनें से बचानें के लिए भारत सरकार के पास न कोई तत्कालिक विचार है और न कोई दूरदर्शी एक्शन प्लान.... ऐसे में देशवासियों के पास इस बढी हुई कीमत को झेलनें के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
सूत्र: ब्लूमबर्ग
एक बैरल की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमत है १०० डालर, ५६ रुपये प्रति डालर के हिसाब से हो गये ५६०० रुपये प्रति बैरल ।
एक बैरल में लगभग १५० लीटर तेल हुआ
रिफ़ाईनरी की कीमत १०-१२ डालर प्रति बैरल होगी... मतलब १२*५६ = ६७२ रुपये
कुल कीमत = ५६००+६७२ = ६२७२ रुपये
प्रति लीटर कीमत = ६२७२/१५०= ४२ रुपये...
मतलब एक लीटर पेट्रोल की असली कीमत हुई लगभग ४२ रुपये..... मुम्बई में पेट्रोल की आज की कीमत है लगभग अस्सी रुपये, मतलब एक लीटर पर ३८ रुपये का मुनाफ़ा....
अब ज़रा इस मुनाफ़े को थोडा और जानें.... इसमें कितना पैसा किस किस के पास गया.....
हर राज्य पेट्रोल की कीमत पर ३० फ़ीसदी वैट वसूलते हैं.... केन्द्र शासित राज्यों में यह थोडा कम है इसलिए दिल्ली और मुम्बई की कींमतों में कोई छ: सात रुपये का अन्तर है....
केन्द्र सरकार इसपर एक्साईज़ ड्यूटी (सोलह प्रतिशत), स्पेसल ड्यूटी, सेस वसूलती है.... तेल कम्पनियों का मुनाफ़ा, डीलर कमीशन सब जोड कर यह करीब पचास फ़ीसदी तक जाता है।
एक लीटर तेल पर होनें वाले ३८ रुपये के मुनाफ़े पर लगभग, १५ रुपये केन्द्र, और १६ रुपये राज्य और ७ रुपये तेल कम्पनी को मिलते हैं.... अब आप खुद ही अंदाज़ा लगाईए सरकार की मंशा तेल कम्पनियों को बचानें की है या अपनी ज़ेब भरनें की ?
दर-असल सरकार की नीयत का साफ़ न होना हमारे देश की सबसे बडी विडम्बना है, तेल कम्पनियों का मुनाफ़ा या नुकसान एक नौटंकी है... रुपये की औकात गिरनें से बचानें के लिए भारत सरकार के पास न कोई तत्कालिक विचार है और न कोई दूरदर्शी एक्शन प्लान.... ऐसे में देशवासियों के पास इस बढी हुई कीमत को झेलनें के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।