यह हो क्या रहा है भाई
मित्रों पिछले कुछ दिनों से हम और आप हिंदुस्तान की हालत से काफी चिंचित हैं। चीन भारत में घुसने को तैयार है और हमारे हिंदुस्तान के विदेश मंत्री चीनी दावत में जाने को तैयार हैं, सरबजीत को मार दिया जाता है और हमारे मंत्री डायलाग के रास्ते को बंद नहीं करेंगे और उनकी मेहमाननवाज़ी करते रहेंगे। कई सवाल हैं और उनके कोई जवाब नहीं हैं। मित्रों आखिर हमारी ऐसी हालत क्यूँ है और इस हालत के लिए ज़िम्मेदार कौन हैं।
पिछले दिनो कुछ कांग्रेसियों से मिला, वह अपनी ही सफ़लता की गारंटी की बात करते हैं। समझते हैं की यदि मोदी के नाम की घोषणा होती है तो फ़िर यूपीए-३ पक्का है। हमनें उन्हे याद दिलाया कोयला, २जी, आदर्ष, मौन प्रधानमंत्री, देश के नेताओं का बडबोलापन, सुप्रीम कोर्ट की हर मामलें में सरकार को लगनें वाली लात वगैरह वगैरह.... चुप्पी के बाद वह केवल इतना ही बोले की देखिएगा २०१४ में हमी आएंगे।
उसी दिन भाजपा और शिवसेना के भी कुछ लोकल नेताओं से बात हुई। यह इस मुगालते में जी रहे हैं की देश की त्रस्त जनता अगले चुनाव में हर हालत में कांग्रेस को निकाल बाहर करेगी। देश के पक्ष और विपक्ष को इस हालत में देखकर भाई मेरा तो सर चकरा गया। आखिर यह क्या हो रहा है भारत में। कांग्रेस ऐसा सोच सकती है क्योंकी हिन्दुस्तान का एक बहुत बडा वर्ग विमुख है सरकार से और उसका वोटिंग प्रणाली में कोई दखल है ही नहीं। फ़ेसबुक पर चिल्लानें वाला युवा वर्ग आखिर किस काम का? यह थोडे ही धूप में लाईन में लग कर वोट करेगा? यह तो वोटिंग के दिन को छुट्टी का दिन समझ कर किसी ट्रिप पर निकल लेता है।
कुछ बातें: ( ताकि सनद रहे अगले चुनाव तक)
पक्ष से
- हमारे प्रधानमंत्री हमारे देश का नेतॄत्व नहीं करते
- वह जनता से कभी कोई संवाद नहीं करते, उनके बयान कोई और लिखता है और कोई और उसे साईन आफ़ करता है और वह उसे पढते हैं और बाद में "ठीक हैं" कहकर अपनी गम्भीरता दिखा देते हैं
- आजतक कभी किसी डिबेट में नहीं आए
- कभी किसी बात की ज़िम्मेदारी नहीं लेते
- कांग्रेस सीबीआई का दुरुपयोग बन्द नहीं करती
- घोटाले बन्द नहीं होते क्योंकी सरकार अपनी ज़ेब भरनें के लिए कॄतसंकल्प दिखती है
- यूनाईटेड नेशन भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित घोषित करता है लेकिन यह कुछ नहीं करते
- महिलाओं की सुरक्षा, खाद्यसुरक्षा गारंटी जैसे विधेयक लटका कर रखती है
- किसी भी समस्या के समाधान की ओर नहीं देखती केवल और केवल राजनीति खेलती है
- अलगाववादियों को संरक्षण देती है
- क्षद्म धर्मनिरपेक्षता है, यह अलगाववादियों को बढावा देते हैं। मुंह में राम बगल में छूरी वाली बात को सार्थक करते हैं
- प्रव्क्ताओं पर कोई लगाम नहीं है
- आर्थिक मंदी से निकलने का कोई दूरगामी सुधार प्रक्रिया नहीं है
विपक्ष से:
- विपक्ष की दशा और दिशा के बारे में देश कन्फ़्यूज़ है
- सार्थक और सकारात्मक विपक्ष जैस कुछ दीख नहीं रहा
- नेतॄत्व का संकट है
- कुनबे में दरारे साफ़ दिख रहीं हैं
- नीयत पर भरोसा नहीं हो रहा
- जनता से जुडनें का कोई प्रयास नहीं हो रहा
- फ़ेसबुक मीडिया पर हो रहे सरकार विरोधी स्वर से खुश हैं लेकिन हकीकत से कोसों दूर
मित्रों आखिर हिन्दुस्तान की समस्याएं बहुत हैं लेकिन इस सुलगते और बदलते भारत में कुछ सकारात्मक बदलाव ज़रूरी हैं। आईए जागरूकता फ़ैलानें के लिए ही सही
कल की पोस्ट में हम आज के भारत की समस्याओं के समाधान के रास्ते तलाशेंगे।
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1 टिप्पणी:
बेहद सार्थक पोस्ट ... बहुत अच्छा विश्लेषण किया है समस्या है ... आगे की पोस्ट का इंतज़ार रहेगा !
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