पुल गिरना आम घटना नहीं होती... फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी वाला फुट-ओवर ब्रिज खराब क्वालिटी के कारण गिरा या फिर ग्रांट रोड मुम्बई का फुट-ओवर ब्रिज अफवाह के कारण ओवरलोडेड होकर गिरा लेकिन यह अपने साथ कई जाने ले गया... अब बनारस... पीड़ा और दुख... अजीब है.. कैंट स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल का पैनल गिरा... अठारह लोग मारे गए... इस हृदय विदारक घटना के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया और आनन-फानन में कार्यवाही दिखाने के लिए दो चार अधिकारी सस्पेंड कर दिए गए... इससे क्या होगा? कुछ नहीं.. जी बिल्कुल कुछ नहीं.. ज्यादा से ज्यादा दो चार लाख का सरकारी मुआवजा मिल जाएगा... उससे ज्यादा कुछ नहीं...
मैं पिछली बार जब बनारस गया तो पाया था कि पूरा बनारस खोद दिया है... प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है सो जगह जगह निर्माण कार्य होना स्वाभाविक ही है लेकिन इन हो रहे निर्माणों में लोगों की भागीदारी और नेगलिजेन्स अजीब सा था... यहाँ अमेरिका में जब कभी कोई निर्माण होता है तो सड़क बन्द कर देते हैं, लोगों के लिए बेरिकेटिंग होती है और उस जगह पर पुलिस खड़ी रहती है ताकि कोई अगर हुड़दंगी आए तो तुरंत कार्यवाही हो लेकिन यह भारत में या फिर बनारस में तो कतई नहीं हो सकता। अगर कोई सड़क बन्द होगी तो फिर बनारस ही बन्द करना होगा... अब कैंट के पास वाली जीटीरोड पर तो किसी भी समय लाख आदमी रहते है तो ऐसे में सड़क बन्द कैसे हो सकती है? अब अगर सड़क बन्द नहीं हो सकती तो फिर ऐसे हादसों के लिए हमेशा रिस्क तो रहने ही वाला है...
मित्रों प्राचीन नगरों में निर्माण हमेशा से चैलेंजिग ही होते हैं.. और बनारस के तो खैर अपने अलग ही रूप रंग हैं... दिल्ली मेट्रो ने कितनी जाने ली? मुम्बई मेट्रो ने कितनी जान गवाई? हमने उन हादसों से कितना सीखा? शायद कुछ नहीं!
अब बनारस को अगर विकास चाहिए, फ्लाय-ओवर चाहिए तो फिर लोगों की भागीदारी ज़रूरी है। सड़क ब्लॉक कीजिए जब कभी भी फ्लाय-ओवर का कोई पैनल रख रहे हों या फिर कोई पैनल फिक्स किया जा रहा है.. जब तक इंजीनियर पैनल का टेस्टिंग, वेलिडेशन करे उसके बाद ही सड़क खुले.. काशी में यह सब कितना सम्भव है वह कहना बहुत कठिन है..
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