गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कौन है आदिल शहरयार?

आदिल शहरयार!! कांग्रेसियों के लिए एक काला अध्याय... किसी बॉलीवुड की मसाला फ़िल्म सरीखी कहानी है यह। क्या आप इनकी हकीकत जानते हैं? यह घंडी परिवार का एक अहम और काला अध्याय है। मैं राजनीति में निजी ज़िन्दगी को लाने के खिलाफ हूँ लेकिन यदि विपक्ष सुषमा स्वराज सरीखी नेता पर पारिवारिक लाभ लेने जैसा आरोप लगाता है तो फिर इनकी भी हकीकत सामने लाना एक तरह से जरूरी हो जाता है। कल सुषमा स्वराज ने आदिल शहरयार का भूत सबके सामने लाकर बहुत अच्छा काम किया, कांग्रेस उस क्षण को कोसेगी जब उसने सुषमा स्वराज पर आरोप लगाकर उन्हें बयान देने पर मजबूर कर दिया।

अब सवाल यह है कि यह शख्स कौन है? मोहम्मद युनुस और आदिल शहरयार की नेहरू परिवार से क्या दोस्ती थी? आइए इतिहास के पन्नें टटोलते हैं.... “The Nehru Dynasty” (ISBN 10:8186092005) किताब में प्रोफ़ेसर जे. एन. राव कहते हैं कि इंदिरा गाँधी (श्रीमती फिरोज खान) का जो दूसरा बेटा था, संजय गाँधी वो फिरोज खान कि औलाद नहीं था! बल्कि वो एक दुसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था! दिलचस्प बात ये है कि संजय गाँधी की शादी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी! जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था क्यूंकि वो संजय कि शादी अपनी पसंद की एक मुस्लिम लड़की से करवाना चाहता था! जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई तब मोहम्मद युनुस ही सबसे ज्यादा रोया था! युनुस की लिखी एक किताब “Persons, Passions & Politics” (ISBN-10: 0706910176) से पता चलता है कि बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीती रिवाज के अनुसार खतना किया गया था"

संजय कभी अपनी माँ की भी नहीं सुनता था, वह एक अपनी अलग राजशाही चलाता था उसकी हरकतें माँ को और तत्कालीन सरकार को नागवार गुज़रती थी। एक दावा यह भी है कि इंदिरा ने खुद अपने बेटे की मृत्यु की साज़िश रची, हालांकि मैं उस पर विश्वास नहीं करता क्योंकि मेरा मानना है कि एक माँ कभी अपने बेटे के लिए ऐसा नहीं करेगी।

बहरहाल जब अमेरिकी जांच एजेंसी ने आदिल शहरयार को पकड़ा तब मोहम्मद युनुस ने राजीव गांधी को मजबूर कर दिया कि वह उसके बेटे को छुड़वायें वरना वह नेहरू वंश की हकीकत सबके सामने ला देंगे। यही है वह काला अध्याय जिसकी चर्चा कल सुषमा स्वराज ने की। इसके संबंधी दस्तावेज नष्ट किये जा चुके होंगे और इन्होंने सबूत मिटाने की हर संभव कोशिस की होगी।  आज सुषमा स्वराज ने इस भूत को बोतल से निकालकर सबके सामने ला खड़ा किया है, विपक्ष अपनी भमिका को लेकर सवालों के घेरे में है। ललितगेट में सुषमा को घेरने की जगह वह खुद घिर चुकी है। यह उसी के पाले हुए मुद्दे हैं तो उसे हथियार डाल देने चाहिए और चुपचाप से संसद चलने देना चाहिए। जनता के पैसे को बरबाद करने की जगह चुपचाप काम करो वर्ना अगले चुनाव में चौवालीस के चार हो जाओगे।

संभल जाओ रे कांग्रेसियों!!

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