इस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार है और इन्होने सरकारी अमला इस कदर बरबाद किया है जिसकी कोई अन्य मिसाल देश में देखने को नहीं मिलेगी। पीसीएस (उत्तर प्रदेश प्रशासनिक आयोग), 2014 की मेरिट लिस्ट पर नज़र डालिये:
रागेश कुमार यादव - 140
राहुल यादव- 140
सुरेंद्र यादव- 136
अमिताभ यादव- 140
मायाशंकर यादव- 138
अरविंद कुमार यादव- 140
सिद्धार्थ यादव- 138
धनवीर यादव- 137
ज्योत्स्ना यादव- 138
सोमलता यादव- 138
ब्रजेश यादव- 138
रवींद्र प्रताप यादव- 137
राम अशोक यादव- 139
राम कुमार यादव- 140
सत्येंद्र बहादुर यादव-138
शिव कुमार यादव- 139
अनिल कुमार यादव- 139
नीतू यादव- 138
अशोक कुमार यादव- 137
देव कुमार यादव- 140
रमेश चंद्र यादव- 140
सुप्रिया यादव- 139
विकास यादव- 139
सुशील कुमार यादव- 140
ममता यादव- 140
किस तरह से यादव जाति के कैंडिडेट्स को 140 और 138 नंबर दिए गए हैं, इस पर आजतक ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था लेकिन उसके बाद वह खामोश हो गए। कोई कारण होगा जो गिनाना यहाँ वाज़िब नहीं है। लेकिन अगर मैं आजतक की ही पोस्ट को कॉपी पेस्ट करूँ तो यह पढ़िए:
"लेकिन वोट की राजनीति से परे उत्तर प्रदेश के लोक सेवा आयोग में जब मेरिट लिस्ट पर यादव राज सवार हो जाए, तो इल्जाम लगना लाजिमी है. जी हां, समाजवादी पार्टी का 'वोट बैंक' अब लोक सेवा आयोग में भी गजब ढा रहा है| अब तक तो जाति के वोट बैंक के नाम पर सांसद और विधायक बन रहे थे, लेकिन अब यूपी में एसडीएम और डिप्टी एसपी भी वोट बैंक में से निकल रहे हैं. जो अधिकारी आगे चलकर डीएम, एसपी, कमिश्नर, डीआईजी-आईजी की कुर्सी पर विराजेंगे, उनकी खासियत सिर्फ और सिर्फ एक खास जाति होगी" जी हां, विकास धर और हिमांशु कुमार गुप्ता को इंटरव्यू में 102 और 115 नंबर मिले, लेकिन रागेश कुमार यादव पूरे के पूरे 140 लेकर आगे निकल गए. अंकुर सिंह, विनीत सिंह और अभिषेक सिंह को मेन्स यानी लिखित परीक्षा में ज्यादा नंबर मिले हैं, लेकिन इंटरव्यू में 113, 115 पर ही वो सिमट गए, जबकि सुरेंद्र प्रसाद यादव लिखित परीक्षा में काफी पीछे हैं, लेकिन इंटरव्यू में 136 नंबर पाकर फाइनल लिस्ट में जगह बना ली. अमिताभ यादव और मायाशंकर यादव भी जाति के नाम पर इंटरव्यू के नंबर लूटने में कामयाब रहे, जबकि जनरल कटगरी के बाकी उम्मीदवारों की योग्यता इंटरव्यू में दम तोड़ गई."
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में किसी ने इस पर जनहित याचिका दायर की जिसमे हवाला दिया गया कि कैसे 389 से 72 यादव बिना योग्यता के सिर्फ सिफारिश के चलते चुने गए, 86 में से 56 उपजिलाधिकारी यादव ही कैसे हो गए? लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पचास प्रतिशत से अधिक सिर्फ यादव ही हैं। कारण साफ़ है की वोट बैंक की राजनीति के चलते उत्तर प्रदेश में यादव राज चालू है। एक दरोगा से लेकर एसडीएम तक सिर्फ यादव ही यादव।
उत्तर प्रदेश में चपरासी के पद के लिए पीएचडी तक का आवेदन आया, लेकिन भर्ती की न्यूनतम योग्यता तो "यादव" होना होगी। उसके बाद यादवजी प्रोफ़ाइल शोर्टलिस्ट करेंगे फिर यादवजी इंटरव्यू के लिए न्यौता भेजेंगे फिर यादवजी लोगों का इंटरव्यू लेंगे फिर यादवजी यादवजी को यादवजी को अंदर लाने कहेंगे फिर यादवजी, यादवजी के कहने के बाद यादवजी के कहने पर यादवजी को कह देंगे कि यादवजी के कहने के अनुसार यादवजी ही यादवजी का ऑफ़र लेटर साइन करेंगे.... बहरहाल बहुत बुरे हालात है।
हमारी मेन स्ट्रीम मीडिया ऐसे घोटाले की खबर नहीं दिखाएगी, आजतक ने भी 2014 में दिखाया और फिर उसके बाद इतिश्री कर ली, कोई समाजवादी डील हो गयी होगी तो बाकी कोई कोई फर्क नहीं.... हाँ अगर ऐसा कुछ मोदी ने किया होता तब भी क्या मीडिया, एवार्ड वापसी गैंग, देशद्रोही बुद्धिजीवी यूँ ही खामोश रहते?
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