बिहार वाकई में बिहार है, आज चुनाव के नतीजे देख कर और लालू की वापसी को देखकर पहले तो चिंतित हुआ लेकिन फिर संयत भी हो गया। विश्व के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक, जहाँ आज भी प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का एक तिहाई, न कोई विश्व-स्तरीय शिक्षण स्थल, न कोई पांच-सितारा होटल, पर्यटन के स्थल भी गिनती के हिन्दू धर्म (बाबा धाम) और बौद्ध धर्म (गया) हैं। लालू का वह दौर याद कीजिये जब यदि कोई पटना का व्यवसायी मर्सीडीज़ खरीदता था तो उसके अगले दिन उसके घर फिरौती या फिर गुंडा टैक्स वसूली के लिए चिट्ठी पहुँच जाती थी। अपनी इस दुर्दशा के लिए बिहार किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकता है, इसके लिए सिर्फ और सिर्फ बिहार दोषी है। आज लालू की वापसी हुई और बिहार में जंगलराज की वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया। दिल्ली चुनाव के बाद भाजपा को समझ जाना चाहिए था कि इस देश में विकास और प्रगति की बात करने से वोट नहीं मिला करते, यहाँ सिर्फ और सिर्फ जाति समीकरण का ध्यान और अपना वोट बैंक बनाए रखने से वोट मिलते हैं।
आखिर भारत जातिवाद के इस कुचक्र से कभी भी निकल सकेगा? शायद कभी नहीं, भारत में मुस्लिम समुदाय वोट बैंक बना रहेगा, दलित वोट बैंक बना रहेगा, यादव वोट बैंक बना रहेगा, और इस देश में लालुओं, मुलायमों का जंगलराज रहेगा, हमेशा रहेगा। वाकई आज के नतीजे के बाद साबित हो गया। धन्य हो बिहार, वाकई धन्य हो… तुमने जंगलराज चुना है, तुम्हे जंगलराज मुबारक हो॥
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