मंगलवार, 17 नवंबर 2015

कांग्रेस का ज़माना ही अच्छा था

कांग्रेसी शासन ज्यादा अच्छा था, देश सहिष्णु था। कांग्रेसी काल में कभी कोई दंगे नहीं हुए थे, जाति आधारित राजनीति बिल्कुल भी नहीं होती थी। बिचौलिए बिल्कुल भी नहीं थे, हर सामान का दाम इतना कम था कि एक रिक्शे वाला भी फाइव स्टार में खाता था, सिर्फ बारह रुपये में थाली मिल जाया करती थी। सिर्फ तैतीस रुपये में अय्याशी से जिया जा सकता था। बैंक गरीबों को मुफ्त में खाता खोल दिया करते थे, बारह रुपये तो क्या मुफ्त में करोड़ों का बीमा मिल जाया करता था। कांग्रेसी काल में महिलाओं के प्रति कोई अन्याय नहीं होता था। अपराध नाम की कोई चीज थी ही नहीं, कांग्रेसी इतने देशभक्त थे जो सिर्फ चरखा चला के आज़ादी ले आये थे। चाचा नेहरू ने गुलाब के फूल से सभी का दिल जीत लिया था, वह बच्चों को इतने प्रिय थे की बच्चों को डाक टिकट भेज दिया करते थे। उन्होंने भी देश को आज़ादी दिलाने के लिए चरखा चलाया था। कांग्रेसी इतने अच्छे से मिल जुल कर घोटाला किया करते थे की कोई समझ ही नहीं सकता था। एक देश में जब भाई भाई मारामारी कर लेते हैं वहां इनका इतनी समन्यवता के साथ घोटाला करना देश में मिसाल बन जाया करता था। पुलिस, सीबीआई, सीएजी जैसी संस्थाएं काम में इतना व्यस्त रहती थी कि क्या कहा जाए। रोज रोज नए घोटाले की खबर से जनता में समन्यवता की भावना बढ़ती थी। सरकारी कर्मचारी तो इतने सुखी थे कि क्या कहें, वह जब मन करे ऑफिस आया करते थे और जब मन करे तो निकल जाय करते थे। महिलाएं ऑफिस में बैठ कर आराम से स्वेटर बुन लिया करतीं थी, सब्ज़ियाँ काट लिया करती थी। हमारी विदेश नीति इतनी अच्छी थी कि नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे देश भी हमारे ऊपर चढ़ बैठा करते थे। पाकिस्तानी हमारे देश के सैनिकों का सिर्फ सर ही तो काट ले जाया करते थे, केंद्र की कांग्रेस सरकार हमेशा उसकी कठोर शब्दों में निंदा करके विरोध जता दिया करती थी। हमारे चाचा नेहरू ने चीन को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता का समर्थन करके सहिष्णुता का परिचय दिया था। कांग्रेसी काल में एक भी बम ब्लास्ट नहीं हुआ करते थे, हाफ़िज़ सईद भाई, ओसामा जी के साथ सरकार के मधुर सम्बन्ध जो थे। वाकई बहुत अच्छा लगता था.… 

और भाजपा वाले, डेढ़ साल में एक घोटाला नहीं, कैसे लोग हैं आपस में ही मिल जुल कर काम नहीं कर पाते, अपनी ही पार्टी के लोकतंतर का पालन करते रहते हैं। और सबसे ज्यादा ज़ुल्म तो सरकारी कर्मचारियों के साथ होता है उनको समय पर ऑफिस आना पड़ता है। सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं अब स्वेटर नहीं बुन पातीं, सब्ज़ियाँ नहीं काट पाती, वाकई कितनी अत्याचारी सरकार है न भैया। मोदी के पहले कोई प्रधानमन्त्री विदेश गया ही नहीं था और मोदीजी ने विदेश जाना शुरू करके एक बहुत ही गलत परंपरा डाल दी है। और हाँ मोदीजी ने देश के सैनिकों को गोली का जवाब गोले से देने का आदेश देकर बहुत ही असहिष्णुता का परिचय दिया है। श्रीलंका और सेशेल्स में भारतीय नौसेना का बेस बनाकर मोदीजी ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ सम्बन्ध ख़राब कर लिए हैं। मोदी तो कुछ भी फ्री में देने का मूड ही नहीं बनाते, उलटे सब्सिडी वापस लेने की बात करते हैं।  

वाकई मोदी बहुत अत्याचारी प्रधानमंत्री हैं तानाशाह हैं एकदम, कांग्रेस का ज़माना ही अच्छा था। 

4 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अमर शहीद कर्नल संतोष को हार्दिक श्रद्धांजलि , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

और उससे पूर्व ब्रिटिश राज और भी अच्छा था -कोई दायित्व नहीं था अपना ,और चीजों के दाम कितने कम, तुलना कर लीजिये क़ीमतों की.

Rishabh Shukla ने कहा…

​सुन्दर रचना ..........बधाई |
आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #चलोसियासतकरआये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/chalo-siyasat-kar-aaye.html

kuldeep thakur ने कहा…

ब्रिटिश राज तो हमने देखा न था...

कांग्रेस का ज़माना बहुत समय देख लिया...
अब मोदी को देख रहे हैं...
अच्छा क्या था...
देख कर बताएंगे....